Day 8
Are you an old student of Vipassana?
कार्यावली
आठवे दिन विपश्यना जारी रखते हुए, हम पूरे शरीर में सर से पाँव तक, फिर पाँव से लेकर सर तक यात्रा करते हैं और स्वाभाविक संवेदनाओं को जानने का काम करते है।
अब प्रतिक्षण सजग रहना है, और प्रतिक्षण समता में रहना है। ध्यान के समय के अतिरिक्त सजगता का विकास दैनिक कार्यों में भी करें। उदाहरणतः, भोजन करते हुए उंगलियों, होंठ और जिव्हा पर भोजन का स्पर्श का अनुभव करें; चलते समय पैरों के तलवे पर धरती का, शरीर पर हवा और वस्त्रों के स्पर्श का साक्षी भाव से अनुभव करें।
वो सभी कार्य (जैसे साँस का आवागमन, चलना, भोजन करना इत्यादि), जिसके सम्पादन के लिए आपका अचेतन/अर्द्धचेतन चित्त उत्तरदायी होता है, अब वो आपको पूर्ण चेतना के साथ करना है।
सातवे दिन से थोड़ा अलग, आठवे दिन हम क्रम में थोड़ा बदलाव(ब्यौरा अनुदेश में) लाते हुए यात्रा करते रहेंगे, और अपनी संवेदनाओ के प्रति समता व दृष्टा-भाव बनाएं रखेंगे। आठवे दिन की यात्रा में सातवे दिन की यात्रा भी शामिल है।
आठवे दिन भी अधिष्ठान का पालन करते हुए दिन के सारे एक-घंटे वाले ध्यानों में बिना हाँथ-पैर खोले दृढ संकल्प के साथ बैठें और एक ही मुद्रा में ध्यान करें।
अनुदेश
- नीचे की दिशा में यात्रा के दौरान- सर से सिरे से शुरू करें फिर नीचे की ओरे जाते जाते अनेक अंगो को सम्मलित करते हुए पैर की उँगलियों तक जाएं
- ऊपर की दिशा में यात्रा के दौरान- पैर की उँगलियों से शुरू करें फिर ऊपर की ओरे जाते जाते अनेक अंगो को सम्मलित करते हुए सर से सिरे तक जाएं
- इस यात्रा के बहाव में जहाँ-जहाँ संवेदना महसूस होती जाएँ उसे जानते जाएँ, और जहाँ संवेदना न महसूस हो वहाँ अधिक देर तक नहीं रुकेंगे और उस स्थान पर पहने हुए कपड़े का स्पर्श या हवा का स्पर्श हुआ ऐसा जानकर आगे बढ़ जायेंगे
- इस यात्रा को लगातार हर दो बार करने के बाद हम सातवे दिन की यात्रा को एक बार करेंगे। जब-जब सातवे दिन की यात्रा का पालन करेंगे तो जहाँ-जहाँ मूर्छा मालूम हो रही है विशेष तौर पर वहाँ-वहाँ ध्यान देते हुए यात्रा करेंगे
- यात्रा के दौरान चाहे सुखद संवेदना मालूम होती हो या दुखद संवेदना हम उसके प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं करेंगे, क्यूंकि ये सारी संवेदनाएं अनित्य हैं इसलिए सुखद संवेदना के प्रति न राग जगायेंगे और न दुखद संवेदना के प्रति द्वेष। संवेदनाओ को घटना घटित हो रही है ऐसा मात्र जानते हुए उसके प्रति समता व दृष्टा-भाव बनाएं रखेंगे.
- पूरा दिन बड़े धीरज के साथ बारीकी से जानकारी बनाये रहेंगे, और स्थूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से सूक्ष्मतम की ओरे जाते जायेंगे
प्रवचन
प्रवचनॉंश
- जल्द ही उपलब्ध किया जायेगा
शब्दावली
संवेदना | सनसनी, संवेदन, महसूस |
Comments
Post a Comment