Day 5
Are you an old student of Vipassana?
कार्यावली
पांचवे दिन विपश्यना जारी रखते हुए, हम चौथे दिन की तरह ही पूरे शरीर में संवेदनाओं को जानने का काम करते है, पर चौथे दिन से थोड़ा अलग ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर याने "सर से पाँव तक, फिर पाँव से लेकर सर तक" यात्रा करते हैं.
यह दोनों दिशा की यात्रा एक क्रम से करते हुए अपनी संवेदनाओ के प्रति समता बनाये रखेंगे व दृष्टा भाव बनाएं रखेंगे.
अनुदेश
- इसके अनुदेश ठीक चौथे दिन के तरह ही है, यात्रा के दौरान क्रम बनाये रखना है
- नीचे की दिशा में यात्रा के दौरान- सर से सिरे से शुरू करें फिर चेहरे की ओर जाएं, फिर दाएं कन्धा से दाएं हाँथ की उँगलियों तक जाएं फिर बाएं कन्धा से बाएं हाँथ की उँगलियों तक जाएं फिर गले से छाती से पेट तक फिर गर्दन से पीठ से कमर तक फिर निचले हिस्से को सम्मलित करते हुए फिर दायीं जांघ से दाएं पैर की उँगलियों तक फिर बायीं जांघ से बाएं पैर की उँगलियों तक
- ऊपर की दिशा में यात्रा के दौरान- बाएं पैर की उँगलियों से बायीं जांघ तक फिर दाएं पैर की उँगलियों से दायीं जांघ तक, फिर निचले हिस्से को सम्मलित करते हुए फिर कमर से पीठ से गर्दन तक फिर पेट से छाती से गले तक फिर बाएं हाँथ की उँगलियों से बाएं कन्धा तक फिर दाएं हाँथ की उँगलियों से दाएं कन्धा तक फिर चेहरे से सर की ओरे जाते हुए सर के सिरे तक
- इस यात्रा के दौरान जैसे ही किसी अंग में संवेदना महसूस हुई आगे(अगले अंग में) बढ़ गए और जहाँ नहीं महसूस हुई मूर्छा मालूम हुई वहां 1 मिनट रुक कर संवेदनाओ को जानने का प्रयास करेंगे अगर फिर भी कोई संवेदना न मालूम हुई तो उस स्थान पर पहने हुए कपड़े का स्पर्श या हवा का स्पर्श हुआ ऐसा जानकर आगे बढ़ जायेंगे
- पूरा दिन बड़े धीरज के साथ बारीकी से जानकारी बनाये रहेंगे, और स्थूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से सूक्ष्मतम की ओरे जाते जायेंगे
प्रवचन
प्रवचनॉंश
- जल्द ही उपलब्ध किया जायेगा
शब्दावली
संवेदना | सनसनी, संवेदन, महसूस |
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