Day 3
Are you an old student of Vipassana?
कार्यावली
शरीर के स्तर पर जो भी अनुभव होता है उसे संवेदना(sensation) कहते हैं। तीसरे दिन हमें एकाग्र मन से शरीर पर होने वाली संवेदनाओं को जानना सिखाते हैं।
तीसरे दिन साँस आ रहा है साँस जा रहा है उसके अलावा कुछ और भी हो रहा है, उसे जानना है, ये संवेदनाएं कैसी भी हो सकती है जैसे, गर्माहट सी है, ठंडक सी है, झुनझुनाहट सी है, स्पंदन है, फड़कन है, फुलकन है, हल्कापन है, भारीपन है, सिकुड़न है, फैलाव है, सूखा-पन गीला-पन आदि. जो भी अपने आप हुआ उसे जान लिया।
इन संवेदनाओ को सारे शरीर में नहीं जानेंगे मात्रा नाक और होंठ के ऊपर(मूंछो) वाले स्थान पर इस त्रिकोण-क्षेत्र पर जानेंगे।
नासिका के ऊपरी त्वचा में नाक के अंदर वाले हिस्से में, नाक के छल्लों पर, मूछों पे कैसी संवेदनाएं जाग रही है जानेंगे।
तीसरे दिन से साधक विशेष ध्यान देगा की साधना के दौरान उसे भोगता भाव से बाहर निकल कर दृष्टा भाव में रहना है।
उदाहरण के तौर पे खुजली आयी तो खुजला लिया तो भोगता भाव हुआ. पर खुजली आयी तो हम कोई प्रतिक्रिया नहीं किये, खुजली तेज़ हुई, और-तेज हुई और थोड़ी देर में समाप्त हो गयी.. खुजलायेंगे नहीं.. कोई संवेदना इतनी लम्बी नहीं रहती.. बस जानना है की कैसी संवेदना हुई उसके प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी है यही है दृष्टा भाव..
समाधि के बल पर कोई भी संवेदना/विकार को दबाया तो वो बाद में जाने कब ज्वाला-मुखी की तरह फूट कर आएगा, इसलिए किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं करना है।
अनुदेश
- साधना में बैठकर, अपने मन को इस नाक और होंठ के ऊपर(मूछों) वाले स्थान पर लगाकर साँस की जानकारी रखेंगे
- साँस अपने साथ नाक पर, नाक के छल्लों पर और मूछों वाले स्थान पर क्या संवेदना ला रही है उसकी जानकारी रखेंगे
- ये संवेदनाएं कैसी भी हो सकती है जैसे, गर्माहट सी है, ठंडक सी है, झुनझुनाहट सी है, स्पंदन है, फड़कन है, फुलकन है, हल्कापन है, भारीपन है, सिकुड़न है, फैलाव है, सूखा-पन गीला-पन आदि
- स्वाभाविक संवेदना को जानना है, जो अपने आप हुआ, जैसी भी संवेदना अपने आप जागी उसे जान लेना है, किसी विशेष प्रकार की संवेदनाओ की कामना न करने लग जाएं
- संवेदनाओ को जानने के दौरान उसके प्रति दृष्टा भाव रखना है और कोई भी प्रतिक्रया नहीं करनी है
- संवेदनाओं के प्रति कोई नियंत्रण भी नहीं करना है
- संवेदना न मालूम होती हो तो थोड़ा देर के लिए साँस तेज कर लें। फिर वापस सहज स्वाभिक साँस पर वापस आ जाएं
- अगर यह मालूम पड़ जाये की मन भटक गया है तो व्याकुल न हो और न ही द्वेष जगाएं, कुछ देर के लिए अनापान कर लें, और अनापान से जब मन एकाग्र होजाये तो मन को वापस संवेदनाओं की जानकारी पर ले आएं
- पूरा दिन बड़े धीरज के साथ बारीकी से जानकारी बनाये रहेंगे, और स्थूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से सूक्ष्मतम की ओरे जाते जायेंगे
प्रवचन
प्रवचनॉंश
- जल्द ही उपलब्ध किया जायेगा
शब्दावली
संवेदना | सनसनी, संवेदन, महसूस |
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